भजन/भावगीत

प्रभु की बगिया

मुझे प्रभु तेरी बगिया में आना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

 

1.इक फूल हो धीरज का दाता
जो मिल जाए शीश धरूं दाता
तेरी रज़ा में ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

 

2.इक फूल हो शांति का दाता
रहूं दूर मैं क्रांति से दाता
भ्रांति में ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

3.इक फूल संतोष का हो स्वामी
मिले जितना सुखी रहूं हे स्वामी
उतने से ही शुक्र मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

 

4.इक फूल सहन की शक्ति हो
मिलें कष्ट भले तेरी भक्ति हो
तेरी भक्ति में मन को रमाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

 

5.इक आस दरस की है भगवन
अभिलाष मोक्ष की है भगवन
गुरु-दरश का पर्व मनाना है
तेरे फूलों से मन महकाना है-

(तर्ज़- छड दे, छड दे पीताम्बर राधे जाण दे नी———-)

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244