कविता

और उम्र ढलती जाती है !

कभी उलझ जाते हैं
कभी  सुलझ जाते हैं
हमसफर संग चलते चलते
कुछ रिश्ते बदल जाते हैं
और उम्र ढलती जाती है !

कुछ बिछड़ जाते हैं
कुछ मिल जाते हैं
कुछ नए से रिश्ते
फिर यूं ही बन जाते हैं
और यादें जागती जाती हैं !

बचपन यादें बन जाती है
जवानी हाथ से निकल जाती है
थोड़े सयाने होते जाते हैं
बचपन को न भूल पाते हैं
और ज़िन्दगी गुज़रती जाती है !

कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |