गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका”

मापनी- 1222 1222 1222

पुकारे गोपियाँ कान्हा मुरारी हो

नचाते अब कहाँ ग्वाला मदारी हो

बजाते किस गली बंसी रसीली तुम

गिराते पर कहाँ दहिया अनारी हो।

गए वो दिन विरानी हो गई रतिया

चराते तुम कहाँ गैया पुरारी हो॥

मिले गोकुल गली में भर दिये खुशियाँ

निभाने को कभी आना कछारी हो॥

कभी आओ हिया मनमोहना नगरी

सखी पन डगर पनिहारी पुकारी हो॥

भयो अँधियार अंजोर करो बखरी

निशा घिरि आ गई संझा कुमारी हो॥

मना लूँ मन रमा लूँ चित सवरिया से

लगा लूँ स्नेह उभरे मन मझारी हो॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ