गीतिका/ग़ज़ल

जीवन का आधार !

मानो या न मानो लेकिन जीवन का आधार यही है।
सुख दुख आते जाते रहते मेरा तो व्यवहार यही है।

जाने रहते हैं क्यों ,नशे में चूर कुछ लोग यहां ;
गिरते को उठा ले जो जीवन में शिष्टाचार यही है।

क्यों खामोश रहते हो कभी गल्त देखकर भी  ;
तड़पते देख किसी को मुँह मोड़ना अत्याचार यही है।

तोड़ो निद्रा जागो और सबको भी जगाओ तुम ;
मिलकर बड़ते कदम पाएं मंजिल भी सुख संसार यही है।

अमानवता को दूर करो अपने घर से शुरु करो ;
खुद को बदलो देश बदलेगा सदाचार यही है।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |