जीवन का आधार !
मानो या न मानो लेकिन जीवन का आधार यही है।
सुख दुख आते जाते रहते मेरा तो व्यवहार यही है।
जाने रहते हैं क्यों ,नशे में चूर कुछ लोग यहां ;
गिरते को उठा ले जो जीवन में शिष्टाचार यही है।
क्यों खामोश रहते हो कभी गल्त देखकर भी ;
तड़पते देख किसी को मुँह मोड़ना अत्याचार यही है।
तोड़ो निद्रा जागो और सबको भी जगाओ तुम ;
मिलकर बड़ते कदम पाएं मंजिल भी सुख संसार यही है।
अमानवता को दूर करो अपने घर से शुरु करो ;
खुद को बदलो देश बदलेगा सदाचार यही है।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !