गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

रात  तन्हा   है  मेरी  और   सहारे  आँसू
ख़त्म  उम्मीद  नहीं  और  न  हारे  आँसू

दर्द की शब में सबब पूछ उजाले का क्या
चंद  उम्मीद   लिये   चाँद  सितारे  आँसू

सूख कर गाल में एक नक्श बना डाला है
हू-ब -हू  दिल  की  दास्तान  उभारे  आँसू

संग  शहनाइयों  के  चूर   ख़्वाब  हो  बैठे
टूट कर गिर गये  आंखों  से  कुँआरे  आँसू

सूख कर रह  गयीं  आँखें  इधर  जुदाई  में
शख़्स यक ले गया है साथ  में  सारे  आँसू
                       
                             प्रवीण ‘प्रसून’

प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून'

नाम-प्रवीण श्रीवास्तव 'प्रसून' जन्मतिथि-08/03/1983 पता- ग्राम सनगाँव पोस्ट बहरामपुर फतेहपुर उत्तर प्रदेश पिन 212622 शिक्षा- स्नातक (जीव विज्ञान) सम्प्रति- टेक्निकल इंचार्ज (एस एन एच ब्लड बैंक फतेहपुर उत्तर प्रदेश लेखन विधा- गीत, ग़ज़ल, लघुकथा, दोहे, हाइकु, इत्यादि। प्रकाशन: कई सहयोगी संकलनों एवं पत्र पत्रिकाओ में। सम्बद्धता: कोषाध्यक्ष अन्वेषी साहित्य संस्थान गतिविधि: विभिन्न मंचों से काव्यपाठ मोबाइल नम्बर एवम् व्हाट्सअप नम्बर: 8896865866 ईमेल : praveenkumar.94@rediffmail.com