गीत/नवगीत

किशोरों जरा ध्यान से सुनो

हम कैसा खाना खाएं (2) आओ थोड़ा तुम्हें बताएं
किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

खाना साफ जगह पे पकाएं (2)
भोजन संतुलित ही खाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

इक दूजे का जूठा न खाएं (2)
बाजारी चीज़ें न खाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

खाना सही ताप पे पकाएं (2)
बासी खाना नहीं खाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

पानी को उबालें-छानें (2)
डॉक्टर की सलाह को मानें किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

खाना खूब चबाकर खाएं (2)
मौसम की चीजें खाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

गोली से कुछ नहीं होगा (2)
भोजन से विटामिन पाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

नाश्ते को तसल्ली से खाएं (2)
सारे दिन की ताकत पाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

काजू-पिस्ते भले ही न खाएं (2)
मूंगफली से सेहत पाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

 

फास्ट-फुड से प्रेम न पालें (2)
हम सोच-समझकर खाएं किशोरों जरा ध्यान से सुनो (2)-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “किशोरों जरा ध्यान से सुनो

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत सुन्दर रचना लीला बहन .

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