गीत/नवगीत

किशोरावस्था से मुलाकात

मुझे समझ न आए बात, किशोरावस्था से मुलाकात
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

 

रहूं वैसे तो अपनों में
मगर खोई-सी सपनों में
दिवास्वप्न करें बेचैन, नहीं लेने देते हैं चैन
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

 

अचानक दर्पण से हुआ प्यार
निहारूं खुद को बारम्बार
करूं हरदम मैं यही विचार, कि आए मुझमें कैसे निखार
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

 

तनिक बदलाव हुए तन में
हुए कुछ परिवर्तन मन में
मुहांसे चेहरे पर आए, कुहांसा भावों पर छाए
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

 

कभी थी इच्छा मेले हों
सुहाए अब कि अकेले हों
शोर अब तनिक नहीं भाए, न कुछ भी मन को बहलाए
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

 

करूं मैं अपने से ही बात
न सुध हो कब हो दिन कब रात
डरी-सहमी देखूं हर ओर, कि जैसे मन में हो कोई चोर
हुई कब रातों में, मैं खोई बातों-बातों में-

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “किशोरावस्था से मुलाकात

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    BAHUT SUNDER

    • लीला तिवानी

      प्रिय प्रदीप भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , कविता बहुत अछि लगी .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

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