कविता

दर्पण

जीवन के अंतर्द्वंद को समझना इतना आसान कहाँ ,
खिलते हैं फूल बगिया में पर आनंद माली के बिन कहाँ !!

खेल तमाशे बचपन के माँ के साए में ही मिलते हैं ,
माँ के बिना संसार……..में मायके का आन्नद कहाँ !!

सजाकर सोलह श्रृंगार फिर भी लगता कुछ अधूरा है ,
लाख खुशियाँ हों संसार में पिया के बिन ससुराल कहाँ !!

लाख बनालो बेगानों को सौदागर अपने जीवन का ,
उसूलों को खोकर जीवन जीने का सच्चा आधार कहाँ !!

वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017

One thought on “दर्पण

  • प्रदीप कुमार तिवारी

    SUNDER

Comments are closed.