कविता

कविता शीर्षक – जागे से ख्वाब तेरे

उनिंदी पलकों में  , जागे से ख्वाब तेरे

रातों में जुगनू से , दमकते अहसास मेरे

क़तरा क़तरा दे रहा सदाएं

कुछ कहती हैं ज़रा सुनो ये हवाएं

लम्हा-लम्हा सरकती हैं

समय की अनगिनी घड़ियां

कुछ पल ठहरो तो

हो जाएं कुछ अनकही बतियां

तेरी यादों के सुनहरे ख्वाबों में

खोया सा रहता है दिल आजकल

अब न जाना छोड़ कर कहीं

कहता सा रहता है दिल आजकल

 

 

लीना खत्री

लीना खत्री , c/of- चंद्रप्रकाश खत्री , 91- प्रगति नगर कोटड़ा, पुष्कर रोड अजमेर , राजस्थान-305001 , फोन- 7073891795 , मेल-leenakhatri80@gmail.com