कविता

पुरुष.. तुम क्या जतलाना चाहते हो ?

दशानन की तरह..
ओढ़ अनेकानन
खुद का अस्तित्व छुपा जाते हो
तुम क्या जतलाना चाहते हो ?

दिल में छुपा कर..
प्रेम क्यों खुद को..
भावना शून्य दिखलाते हो ।
तुम क्या जतलाना चाहते हो ?

बिन आंसू के..
दिखे सुबकना ।
भीतर क्यों घुटते जाते हो ।
तुम क्या जतलाना चाहते हो ?

त्याग की मूरत हो..
तुम भी नारी सम ।
पर चेहरे पर..
पाषाण सी सख्ती दिखलाते हो
पुरुष.. तुम क्या जतलाना चाहते हो ?

अंजु गुप्ता

*अंजु गुप्ता

Am Self Employed Soft Skill Trainer with more than 24 years of rich experience in Education field. Hindi is my passion & English is my profession. Qualification: B.Com, PGDMM, MBA, MA (English), B.Ed