गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

खूब लूटा सियासत ने आदमी को।
राज पाट लूटा सारा और जान भी।।

कितने ही सुरा सुंदरी में हुए बर्बाद।
कितनों ने छुप कर लूटी आन भी।।

घमंड में चूर – चूर हुए ख्वाब सारे ।
और आदमी की ये झूंठी शान भी।।

मिट गई सारी हस्ती इस जहां से।
और न रही अब कोई पहचान भी।।

छल छदम की राजनीति चली थी।
जिसने ली निर्दोषों की जान भी।।

कितने ही जौहर हुए सती हुई थी।
पुरोहित मगर सच्ची आन बान थी।।

कवि राजेश पुरोहित

राजेश पुरोहित

पिता का नाम - शिवनारायण शर्मा माता का नाम - चंद्रकला शर्मा जीवन संगिनी - अनिता शर्मा जन्म तिथि - 5 सितम्बर 1970 शिक्षा - एम ए हिंदी सम्प्रति अध्यापक रा उ मा वि सुलिया प्रकाशित कृतियां 1. आशीर्वाद 2. अभिलाषा 3. काव्यधारा सम्पादित काव्य संकलन राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में सतत लेखन प्रकाशन सम्मान - 4 दर्ज़न से अधिक साहित्यिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित अन्य रुचि - शाकाहार जीवदया नशामुक्ति हेतु प्रचार प्रसार पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य किया संपर्क:- 98 पुरोहित कुटी श्रीराम कॉलोनी भवानीमंडी जिला झालावाड़ राजस्थान पिन 326502 मोबाइल 7073318074 Email 123rkpurohit@gmail.com