मुक्तक/दोहा

“कता”

चाहत तो होती है, पा लूँ तुझे।

उड़ आऊँ कैसे मैं, छा लूँ तुझे।

रहते बालम जिया, बन गगन क्यों-

सुन सकोगे सजना, गा लूँ तुझे॥

खिली धवल चाँदनी, हँसने लगे।

टपकी बूँद बदरी, डँसने लगे।

भिगाती हवा हिया, काँटा चुभे-

निरे आवारे हो, भसने लगे॥

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ