कवितापद्य साहित्य

// यादें .. //

// यादें…//

कैसे सोता हूँ मैं
आँखभरी नींद में
आराम से..
सुखभरे इस पलंग पर!
वो यादें हैं अतीत की
अभी भी डबडबाई
इन आँखों में
चलचित्र है ईस्टमन रंग का।
निर्जीव-जीव थे हम
उस झोंपड़ी में,
बरसात में भीगते – धूप में जलते ,
भविष्य की चिंता में
आशा – निराशा की खिंचताई में
हर रोज हम मरते थे।
काल की कठोरता में
बंधे थे हमारे कदम।
अंधकार के घेरे में
दिशा हीन – विगत दशा में
साथी कौन रहे अहे!
साँस को बंदी बनाते,
अक्षरों के साथ दौड़ते
बे सुध हम गिर पड़े थे..
भाई -बंधु -परिजन,
मुँह फेर लेते,
क्या समझा रहे थे हमें!
यादें …
खुरेद – खुरेदकर प्रश्न करती हैं-
अब तुम सो जाओगे..?

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।