कविता

टूटा पंख

रास्ते में पड़ा हुआ, 
किसी पक्षी का एक टूटा पंख,
रेशम से कोमल और मुलायम-
हज़ार तंतुओं को समेटे हुए, 
दिल पर एक घाव कर गया 
क्या कोई पक्षी आज फिर 
किसी बहेलिये का शिकार बन गया, 
आकाश में न जाने कितने पक्षी 
इस पंख को देख 
कांव कांव कर रहे थे —
और तभी सामने, 
कन्या पाठशाला की छुट्टी हुई
कन्याएं चहकती हुई निकली 
रेशम से कोमल और मासूम चेहरे 
दिल में हज़ारों खुशियां और अरमान ,
भगवन इन्हे भी बहेलियों से बचाना
सही सलामत घर तक पंहुचाना, 
फिर कभी इस रस्ते पर 
कोई टूटा पंख मत दिखाना …..
— जय  प्रकाश  भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845