बाल कविता

बाल गीत : बड़े बेशरम

कचरा फेका बीच सड़क पर ,      बड़े बेशरम |

     टोकनियों में लाये भर भर ,      बड़े बेशरम |

    दफ्तर की सीढी पर थूका ,     पान चबाकर |

    बीड़ी फेंकी गलियारे में ,     धुंआं उड़ाकर |
    फेंकी  पन्नी चौराहे  पर ,     बड़े बेशरम |

    मूंगफली खाकर छिलकों को ,     छोड़ दिया है |

    बीच सड़क पर एक पटाखा ,     फोड़ दिया है |
    कागज फेके घर के बाहर,     बड़े बेशरम |

    इतनी तेज चलते गाड़ी ,     डर लगता है |

    चिड़िया घर के जैसा आज,      शहर लगता है |
     बीच सड़क पर मोबाइल पर,      बड़े बेशरम |

    आफिस से आये हो घर में,      हाथ न धोये |

    चप्पल जूते किचिन रूम तक,     पग  पर ढोये|
    नहीं रहा अम्मा का अब डर      बड़े बेशरम |
—  प्रभुदयाल श्रीवास्तव

*प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार् 12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 480001