बाल कविता

बाल गीत – नहीं गंदगी रहने देंगे

     नहीं गंदगी रहने देंगे
  आँगन का,कमरों का कचरा,
  हर दिन शाम खंगाला मैंने।
  सुबह सुबह कचरा गाड़ी में,
  हर दिन कचरा डाला मैंने।
          पॉलीथिन की बनी थैलियाँ,
          नहीं आजकल घर में आतीं।
         और पुरानी पड़ी हुईं जो,
          अम्मा कचरे में भिजवातीं।
          नहीं गंदगी रहने देंगे ,
          है निश्चित कर डाला मैंने।
    किसी गली में,किसी सड़क पर,
   कचरा जब भी दिया दिखाई।
   उसे उठाने में पल भर की,
   देरी मैंने नहीं लगाई।
    भारत स्वच्छ बना लेने का,
   नारा एक उछाला मैंने।
              इधर थूकना उधर थूकना,
              सड़क दीवारें गन्दी करना।
              इनका कुछ उपचार करें हम,
              इनसे क्यों हमदर्दी रखना।
              धमकी के संग समझाइश का,
              इन्हें पिलाया प्याला मैंने।
    जहाँ दिखे कचरे के पर्वत,
    उनके फोटो खीच निकाले।
    गोबर मिट्टी, गिट्टी कीचड़,
    ढूंढ ढूंढ स्पॉट निकाले।
    समाचार पत्रों को ढेरों,
    हर दिन दिया मसाला मैंने।
 — प्रभुदयाल श्रीवास्तव

*प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार् 12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 480001