कवितापद्य साहित्य

// पाठ //

// पाठ //

हर जगह यह क्या
एक दूसरे पर चढ़ते हैं,
पैरवी के जमाने में
काले मुख हैं कितने
अपना अखड़ दिखाते ।
बलवानों की दुनिया में
वर्ण – वर्ग, जाति -धर्म की
है बड़ी – बड़ी बातें
आकाश का पताका दिखते,
अपनी रीढ़ को मजबूत बनाते ।
अजब – गज़ब के जग में
लाखों – हजारों मनु हैं,
अकल की दुहाई देते ।
इंसान इंसान की यह गाथा
अक्षरवाले की हर अश्रु बूँद में
प्रतिबिंबित है,अन्याय के मेरुदंड
पढ़ने के लिए अच्छा लगता ।

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।