स्वास्थ्य

बढ़ता वजन – समस्या और समाधान

अधिक वजन आजकल की आम समस्या है। इसका मुख्य कारण है हमारी जीवन शैली में आये नकारात्मक परिवर्तन। हम अधिक से अधिक सुख-सुविधाओं के चक्कर में पहले अपने स्वास्थ्य का सर्वनाश कर डालते हैं, फिर स्वास्थ्य बनाने के लिए डाॅक्टरों और अस्पतालों के चक्कर काटते हैं। अधिक वजन या मोटापा या लटका हुआ पेट इन समस्याओं में सबसे ऊपर है। इसके कारण भले ही मनुष्य का शरीर भरा-भरा लगता हो, लेकिन वास्तव में यह बीमारी ही है। यह न केवल स्वयं बीमारी है, बल्कि अनेक बीमारियों का कारण भी है। मोटापे के कारण उच्च रक्तचाप (हाई बीपी), मधुमेह (डायबिटीज), संधिवात (गठिया), दमा (अस्थमा) जैसी बीमारियाँ भी धीरे-धीरे अपने आप विकसित हो जाती हैं, जिनके कारण व्यक्ति की आयु क्षीण होती रहत है।

गलत जीवन शैली मुख्यतः दो रूपों में अपना कुप्रभाव डालती है- शारीरिक श्रम की कमी और अनुचित खान-पान। पहले शारीरिक श्रम को लें। हम पैदल नहीं चलते, वाहनों का अधिक उपयोग करते हैं। सीढ़ियाँ तब तक नहीं चढ़ते उतरते, जब तक बिल्डिंग की लिफ्ट खराब न हो जाये। रात को देर तक जगे रहते हैं और सुबह देर तक सोते रहते हैं। व्यायाम नहीं करते, जो समय व्यायाम को देना चाहिए, वह बिस्तर में पड़े रहकर या चाय पीते हुए गुजार देते हैं।

खान-पान के बारे में भी ऐसी ही गलतियाँ होती हैं। घर के बने हल्के और सुपाच्य सात्विक भोजन के बजाय बाजार का भारी तामसी भोजन करना अधिक अच्छा समझते हैं। फलों के रस, दूध और मठा (छाछ) जैसे सात्विक पेयों को छोड़कर चाय, काॅफी और कोल्ड ड्रिंक जैसे हानिकारक पेय पीते हैं। भोजन भी गलत समय पर करते हैं, जिससे उसको पचने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता।

अधिक वजन जितना खराब रोग है, उतना ही सरल है इसका जाना अर्थात् वजन को कम करना। इसके लिए किसी दवा की नहीं बल्कि आपकी इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। ऊपर जीवन शैली की जो गलतियाँ बतायी गयी हैं, यदि उनको दूर कर लिया जाये, तो मोटापे और वजन से छुटकारा पाना बहुत ही साधारण बात रह जाती है। यदि आप जीवन शैली की गलतियों को दूर नहीं करते, तो दुनिया की कोई ताकत आपका मोटापा दूर नहीं कर सकती, चाहे आप कितनी भी दवाइयाँ खा लें या जिम के चक्कर लगा लें।

इसलिए अधिक वजन से छुटकारा पाने के लिए अपनी जीवन शैली की कमियों का पता लगाइये और उनको दूर कीजिए। सम्भव है कि आप कहें कि देर रात तक जगे बिना हमारा काम नहीं चलेगा। ऐसी स्थिति में आपको अपने भोजन का समय इस प्रकार निर्धारित करना चाहिए कि सोने के पहले कम से कम दो-ढाई घंटे का समय आपको मिल जाये। अधिक मिले तो अधिक अच्छा। आप चाहे कितने भी व्यस्त हों, नित्य प्रातः या सायंकाल कम से कम 45 मिनट और अधिकतम एक घंटे का समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालिए। इस समय अपनी रुचि का कोई भी ऐसा व्यायाम करें, जिससे आपको पर्याप्त पसीना आ जाये और थोड़ी थकान हो जाये। व्यायामों के बारे में मेरी स्वास्थ्य पुस्तिका और लेखों से सहायता लें या मुझसे सीधे पूछ लें। इसके अलावा अवसर मिलते ही आपको पैदल चलना और सीढ़ियाँ चढ़ना उतरना चाहिए। वाहन का प्रयोग अति आवश्यक होने और समय बचाने के लिए ही करें।

अब आइये खान-पान पर। यदि आप सोचते हैं कि मनचाहा खाते पीते रहें और व्यायाम भी करते रहें तो वजन ठीक हो जाएगा, तो आप गलत हैं। व्यायाम जितना महत्वपूर्ण है, उचित खान-पान उससे कम महत्वपूर्ण नहीं है। इसलिए यदि आपका खान-पान गलत है तो उसे तत्काल सुधारने की आवश्यकता है। सबसे पहले तो ऐसी चीजों का पूरी तरह त्याग कर दीजिए, जो पचने में भारी और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, जैसे- चाय, काॅफी, कोल्ड ड्रिंक,, माँस, मछली, चीनी, अंडा, शराब, सिगरेट, तम्बाकू, पान मसाला, डिब्बाबन्द खाद्य, बिस्कुट आदि। ये वस्तुएँ जीवन के लिए बिल्कुल भी आवश्यक नहीं हैं। इनके अलावा मिठाई, चाकलेट, नमक, गुड़, मिर्च-मसाले, तेल, खटाई, पकवान, अचार, तली-भुनी चीजें आदि बहुत कम मात्रा में आवश्यक होने पर ही लीजिए। आपके भोजन में सलाद, अंकुरित अन्न, हरी सब्जी, फल, दूध, दही, छाछ आदि का समावेश होना चाहिए।

भोजन की मात्रा और समय भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक पुरानी कहावत है कि नाश्ता खुद करो, लंच दोस्त के साथ शेयर करो और डिनर दुश्मन को खिला दो। इसके अनुसार हमारा प्रातःकालीन जलपान अधिक होना चाहिए, दोपहर का भोजन कम और रात्रि का भोजन बहुत कम रहना चाहिए। अधिक वजन वाले लोगों के लिए यह कहावत एक मार्गदर्शक की तरह है। रात्रि भोजन यदि हो सके तो केवल फल और सलाद का ही करना चाहिए। कुछ सूखे मेवे भी लिये जा सकते हैं।

प्रातःकालीन जलपान व्यायाम और स्नान के बाद ही करना चाहिए। दोपहर का भोजन उसके लगभग 5 या 6 घंटे बाद और रात्रि का भोजन सोने से 3 घंटे पहले कर लेना स्वास्थ्य के लिए उत्तम है। इस प्रकार यदि आप 6 बजे उठते हैं और रात्रि 10-10.30 बजे सोते हैं, तो जलपान 8-8.30 बजे, लंच 1.30-2 बजे तथा रात्रि भोजन 7.30-8 बजे कर लेना सबसे अच्छा है। अपने सोने और उठने के समय के अनुसार आप इसे निर्धारित कर सकते हैं।

वजन घटाने के लिए आपको पर्याप्त जल भी पीना चाहिए। मौसम के अनुसार नित्य 3 लीटर से 4 लीटर तक जल अवश्य पियें। यह अन्य पेयों के अतिरिक्त होना चाहिए।

यदि इन उपायों का पालन किया जाये तो किसी भी व्यक्ति का वजन सरलता से एक महीने में दो किलो तक कम हो सकता है। इससे अधिक तेजी से वजन घटाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। जैसे-जैसे आपका वजन कम होगा, वैसे-वैसे आपकी स्वास्थ्य सम्बंधी अन्य समस्याएँ भी गायब होती जायेंगी और आप स्वयं को बहुत स्वस्थ अनुभव करेंगे।

यदि आप कुछ शीघ्रता से वजन कम करना चाहते हैं तो आपके लिए साप्ताहिक उपवास या रसाहार करना अधिक अच्छा रहेगा। इसका तात्पर्य है कि सप्ताह में किसी एक दिन आप या तो केवल जल पीकर रहें या उसके साथ तीन-चार बार रस भी पियें। इससे न केवल आपकी खान-पान की गड़बड़ियों का परिमार्जन हो जाएगा, बल्कि वजन के साथ-साथ सभी शारीरिक बीमारियों से भी मुक्ति मिलेगी। प्रारम्भ में आपको उपवास या रसाहार से कुछ बेचैनी होगी, लेकिन यदि आप उसे सहन कर जायें, तो फिर सरल हो जाएगा। सप्ताह में एक बार उपवास या रसाहार करने से ऐसे व्यक्तियों का वजन भी कम हुआ है, जिनका किसी अन्य उपाय से नहीं घट पाया था। उपवास के बारे में मेरे एक अन्य लेख की सहायता लें।

विजय कुमार सिंघल
पौष शु 4, सं 2074 वि (22 दिसम्बर 2017)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com