राजनीति

कांग्रेस की विभाजनकारी नीति

दक्षिण भारत के सभी प्रान्तों में कर्नाटक को सबसे शान्त, सहिष्णु और सबको समायोजित करने वाले प्रान्त के रूप में जाना जाता है। यहां हिन्दी बोलने वाले उस असहजता के शिकार नहीं होते हैं जितना केरल और तमिनाडु में होते हैं। रामायण काल से लेकर आजतक कर्नाटक सत्य का साथ देने में सबसे आगे रहा है। हनुमानजी, सुग्रीव और अंगद पूर्व किष्किन्धा और आज के कर्नाटक के ही निवासी थे, जिनकी सहायता से श्रीराम ने रावण के विरुद्ध महायुद्ध जीता था और जगद्जननी मां सीता को मुक्त कराया था। उसी कर्नाटक में वहां की कांग्रेसी सरकार कभी भाषायी असहिष्णुता को बढ़ावा देती है तो कभी राज्य के लिए अलग झंडे की मांग करती है। अभी-अभी कर्नाटक की सरकार ने हिन्दू समुदाय को बांटने के लिए यहां के दो बड़े समुदाय लिंगायत और वीरशैव समुदाय के लोगों को धर्म पर आधारित अल्पसंख्यक धर्म का दर्ज़ा देने के लिए एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है जिसकी रिपोर्ट कर्नाटक के आगामी विधान सभा के चुनाव के पहले आने की पूरी संभावना है। ये दोनों समुदाय हिन्दू/सनातन धर्म के अविभाज्य अंग हैं। इन्हें अल्पसंख्यक धर्म का दर्ज़ा देने का उद्देश्य हिन्दू धर्म में विभाजन कर इसे कमजोर करना है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार इसे हवा दे रही है। कांग्रेस मुस्लिम लीग, माओवादी और आतंकवादियों से बड़ा खतरा बनती जा रही है।

१९४७ में देश के विभाजन से कांग्रेस का मन नहीं भरा। वह मौका देखते ही देश के विभाजन और हिन्दू समाज के विभाजन के लिए हाथ-पांव मारने लगती है। इसी क्रम में वह कभी कश्मीरी अतंकवादियों का समर्थन करती है, तो कभी देश को टुकड़े करनेवाले का नारा लगानेवालों के साथ धरने पर बैठती है और कभी नक्सलवादियों के साथ खड़ी होती है। अभी-अभी गुजरात में संपन्न हुए विधान सभा के चुनाव में कांग्रेस ने आरक्षण के नाम पर देश के लिए समर्पित पाटीदारों को राष्ट्र की मुख्य धारा से अलग करने की हर संभव कोशिश की। इसी तरह इन्दिरा गांधी ने मात्र अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए अकाली दल की काट के लिए खालिस्तान और उसके रहनुमा भिंडरवाला को आगे बढ़ाया। इस गलती की सज़ा उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष जिन्हें परिपक्व होने में यह सदी निकल जायेगी, की समझ में यह बात आ नहीं रही है। वे नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बाहर करने के लिए कभी पाकिस्तान से गुहार लगाते हैं तो कभी चीन से गुपचुप मंत्रणा करते हैं। अपने दिन-ब-दिन सिकुड़ते प्रभाव से वे कोई सबक लेने के लिए तैयार नहीं हैं। इन देशद्रोही नेताओं और पार्टियों को सिर्फ जनता ही सबक सिखा सकती है। इसलिए कांग्रेस ने जनता में ही विभाजन को अपना लक्ष्य बना रखा है। देश के दो सबसे बड़े समुदाय, हिन्दू और मुसलमान को देश का विभाजन करके कांग्रेस ने अलग कर दिया। अब विशाल हिन्दू समुदाय की बारी है। इस समाज में विभाजन का नेतृत्व कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उनके आका राहुल गांधी कर रहे हैं। भविष्य़ के इस खतरे के प्रति सभी राष्ट्रवादियों को सजग रहने की आवश्यकता है।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.