सामाजिक

साहब ! गंगा को नाला बनने से बचा लो

राम तेरी गंगा मैली गंगाजल भी खारा है, फिर भी सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा है। कवि की उक्त पंक्तियां गंगा की दयनीय स्थिति का कटु सत्य है। भागीरथ के कठोर तप के बाद पुरखों को मुक्ति देने के लिए धरती पर आई गंगा आज खुद मुक्ति की राह तलाश रही है। गंगा इस कदर मैली हो चुकी है कि गंगा के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। गंगा को साफ करने के लिए भरपूर रकम होने के बावजूद राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) उसका इस्तेमाल ठीक से नहीं कर पा रहा। सीएजी ने यह बात गंगा की सफाई पर खर्च का लेखा-जोखा परखने के बाद कही है। मोदी सरकार ने चुनाव में देश के करोड़ों लोगो को गंगा को साफ करने का सपना दिखाया था और जनता से गंगा को निर्मल बनाने का वादा किया था। सरकार ने सत्ता में आने के दो साल बाद गंगा को साफ करने के वादे को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर नमामि गंगे अभियान को लांच भी कर दिया, पर केन्द्र सरकार की गंगा को लेकर प्रतिबद्धता के बाद भी यह सवाल खड़े हो रहें हैं, क्या इस बार गंगा वाकई साफ हो पाएगी ? नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 में एनएमसीजी को 3205 करोड़ रुपये मिले थे जबकि वह 602.60 करोड़ ही खर्च कर पाया। इसी तरह 2016-17 में उसे 3500 करोड़ रुपये मिले जिसमें से 1062.81 करोड़ ही खर्च किए जा सके। पर्याप्त रकम होने के बावजूद उसके सही दिशा में इस्तेमाल न होने से गंगा को निर्मल बनाने की महत्वाकांक्षी योजना में देरी हो रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में गंगा की सफाई को भाजपा ने बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। सरकार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे योजना की शुरुआत की और फिर गंगा स्वच्छता के लिए 20,000 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि भी मंजूर कर दी। इस सबके बावजूद गंगा की स्थिति में खास बदलाव नहीं दिखाई पड़ता। साल 2017 से 2020 तक के लिए सरकार ने गंगा की स्वच्छता के लिए 13295 करोड़ का प्रावधान रखा है। सवाल ये है जब गंगा के जल में कोई सुधार हुआ नही,योजना एक कदम आगे बढ़ नही पायी तो करोड़ों रूपये की धनराशि कहाँ गयी ? क्या ये धनराशि केवल नमामि गंगे के बड़े-बड़े होर्डिंग्स और सरकार के प्रचार पर खर्च कर दी गयी? क्या इस योजना में इतनी बढ़ी धनराशि आवंटित होने के बाबजूद भी प्रगति न पकड़ पाना खराब गवर्नेंस की ओर इशारा नही करती? क्या बिना किसी प्लान के किसी योजना में इतना रुपया फंसाना गलत नहीं है? इस तरह तो गंगा की सफाई का होना नामुमकिन है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि योजनाबद्ध तरीके से गंगा को स्वच्छ करने की दिशा में पहल करे। खेती में और घरों में डिटर्जेंट आदि में इस्तेमाल हो रहे खतरनाक रसायन और कीटनाशक से गंगा को बचाना होगा। इसके अलावा गंगा को सबसे ज्यादा उसमें मिलनी वाली सैकड़ों छोटी बड़ी नदियां भी गंदा कर रही है। केवल गंगा को साफ करने से गंगा पूरी तरह से साफ नहीं होगी। गंगा के साथ गंगा में मिलने वाली सैकड़ों सहायक नदियों को भी साफ किया जाना जरूरी है। गंगा की सहायक नदियों को भी नमामि गंगे परियोजना में शामिल किया जाना जरूरी है।

देवेन्द्रराज सुथार

देवेन्द्रराज सुथार , अध्ययन -कला संकाय में द्वितीय वर्ष, रचनाएं - विभिन्न हिन्दी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पता - गांधी चौक, आतमणावास, बागरा, जिला-जालोर, राजस्थान। पिन कोड - 343025 मोबाईल नंबर - 8101777196 ईमेल - devendrakavi1@gmail.com