कविता

पाक को पाठ पढ़ाना होगा

जिन दहशतगर्दों की खातिर,यहाँ जेल में कबरें खुदती है
उनके आकाओं को देखो,कंगन और चूड़ी चुभती है
हिंदुस्तानी सास बहु को,अपमानित कर भेज दिया
पाकिस्तानी हुक्मरानों,ये कैसा संदेश दिया..?
कंगन,चूड़ी, और बिंदिया को,हल्के में तुमने तोल लिया
मंगल सूत्र के बंधन को भी,जबरन तुमने खोल दिया
इतनी जबर सुरक्षा थी,पर दो महिलायें भारी थी
जूते तक तुमने उतराये, डर की इंतहा भारी थी
बुर्को की आगोशों में,तुम निसदिन लाभ उठाते हो
नही उठता भारत मे बुर्का, तुम इसका लाभ उठाते हो
कुछ अपने लोग भी गैरत है, घात लगाकर बेठे है
एक दादरी दुर्घटना पर,अवार्ड लौटा कर बैठे है
आवाज नही निकली उनकी,”आमिर” बने जो घुम रहे
पत्नी को उनकी लगता था,भारत मे अब हम कैसे रहें
सुषमा जी अब बारी है,इनको औकात दिखाने की
नारी में कितनी शक्ति है,पाक को आज दिखाने की
मोदी जी कुछ हो ऐसा, देश की इज्जत बढ़ जाये
नारी के रूप में देवी बसे,ये पाठ पाक भी पढ़ जाये

पुरुषोत्तम जाजु

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन