सामाजिक

मुस्लिम महिला विधेयक

हिन्दुओं में सती प्रथा के उन्मूलन के बाद सामाजिक बुराइयों को दूर करने के लिए किसी भी सरकार द्वारा पहली बार कल एक अत्यन्त साहसिक और क्रान्तिकारी विधेयक लोकसभा में पास हुआ। विवाह के बाद मुस्लिम महिला के अधिकारों की रक्षा के लिए यह विधेयक लाना और इसे कानून का रूप देना केन्द्र सरकार का नैतिक दायित्व बन गया था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एकसाथ तीन तलाक को अवैध घोषित कर देने के बाद भी मुस्लिम समुदाय द्वारा छोटी सी बात पर पत्नी को तीन तलाक बोलकर परित्याग करने का सिलसिला जारी था। बीवी अगर देर से सोकर उठी तो तीन तलाक, मनपसन्द खाना नहीं बनाया तो तीन तलाक, मायके से देर से आई तो तीन तलाक। मुस्लिम मर्दों ने तीन तलाक को मज़ाक बना दिया था। इस समाज में औरतें बेबस, निरीह और दया की पात्र हो गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद इसे यूं ही अवैध घोषित नहीं किया था। देश के हर धर्म की महिलाओं को बराबरी का हक हासिल है, तो फिर मुस्लिम महिलाओं को इस अधिकार से वंचित कैसे किया जा सकता है? अभी भी मुस्लिम समाज के मर्दों पर दकियानुसी मौलानाओं का आवश्यकता से अधिक प्रभाव है। इसलिए वे इसका विरोध कर रहे हैं। उनका विरोध और कुछ नहीं, विधवा-विलाप ही सिद्ध होनेवाला है क्योंकि महिलाओं ने इसे प्रसन्नतापूर्वक और अत्यन्त उत्साह से स्वीकार किया है। केन्द्र सरकार इस क्रान्तिकारी विधेयक को लाने के लिए बधाई का पात्र है। लोकसभा की तरह ही राज्यसभा में भी विरोधी दलों को इसे कानून बनाने में सरकार का समर्थन करना चाहिए। यह समय की मांग है। जो इसका विरोध करेगा, इतिहास उसे कभी माफ़ नहीं करेगा। आश्चर्य है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, मोरक्को, इंडोनेशिया, मलेसिया और ट्यूनिसिया जैसे इस्लामिक देशों ने पहले ही तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा रखे हैं और भारत के मौलाना चीख-चीखकर इसका विरोध कर रहे हैं। समय किसी को माफ़ नहीं करता है। जो समाज कुरीतियों और गलत परंपराओं को नहीं छोड़ता, समय उसका साथ छोड़ देता है। ऐसे समाज का समाप्त होना ध्रुव सत्य है। मुस्लिम महिला विधेयक की कुछ खास बातें निम्नवत हैं —
१. पीड़ित महिला को यह अधिकार होगा कि वह मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा दायर कर अपने लिए और अवयस्क बच्चों के लिए गुज़ारा भत्ता मांग सकती है।
२. इस नए कानून के तहत एक बार में तीन तलाक चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो न सिर्फ़ अवैध होगा बल्कि पूरी तरह अमान्य होगा। अबतक बोलकर, कागज की एक पर्ची पर तीन बार लिखकर, इ-मेल द्वारा, एस.एम.एस द्वारा या व्हाट्सऐप द्वारा तलाक देना वैध था जो अवैध और अमान्य हो जाएगा।
३. जम्मू और कश्मीर को छोड़कर यह कानून पूरे देश में लागू होगा।
४. एकसाथ तीन तलाक बोलना एक आपरधिक कृत्य माना जाएगा जिसके लिए तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्राविधान है। यह एक गंभीर और गैरज़मानती अपराध माना जाएगा।
मुस्लिम महिला विधेयक को लोकसभा में मज़बूती से लाने और पास कराने के लिए केन्द्र सरकार बधाई का पात्र है। सरकार की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम होगी। यह साहसिक काम सिर्फ़ नरेन्द्र मोदी ही कर सकते थे। लेकिन यह बिल कुछ मामलों में लचर भी है। यह बिल तीन महीनों के अंदर तीन तलाक को वैधता प्रदान करता है, जो मुस्लिम महिलाओं के साथ घोर अन्याय है। भारत में हिन्दू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, इसाई महिलाओं और पुरुषों के लिए एक ही तरह का तलाक-कानून है और वह है अदालत के द्वारा उचित सुनवाई के बाद। जब सभी संप्रदायों में तलाक का निर्णय अदालत में जज द्वारा गुण-दोषों के आधार पर किया जाता है तो मुस्लिम समुदाय अपवाद क्यों? तत्काल तीन तत्काल को अवैध और अमान्य घोषित करने से मुस्लिम महिलाओं को कोई विशेष लाभ नहीं होनेवाला। जेल से लौटने के बाद महिला का पति तीन महीने का समय लेते हुए एक-एक महीने के बाद तीन बार तलाक बोलकर अपनी पत्नी से छुटकारा पा सकता है जो कही से भी तर्कसंगत नहीं है, वरन्‌ यह मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार होगा। सरकार को अदालत के अतिरिक्त किसी भी तरीके से दिए गए तलाक को अवैध और आपराधिक कृत्य घोषित करना चाहिए था। इस कानून की काट निकालना बहुत आसान है। मुल्लाओं को भी थोड़ी बुद्धि तो अल्लाताला ने दे ही रखी है। ऐसे मामलों में उनकी बुद्धि बहुत तेज चलती है। केन्द्र सरकार को मुस्लिम समाज में व्याप्त कुरीतियां — हलाला और मुताह को भी प्रतिबन्धित करने के लिए कानून लाना चाहिए क्योंकि इन कुरीतियों की शिकार सिर्फ़ और सिर्फ़ महिलाएं हैं।

बिपिन किशोर सिन्हा

B. Tech. in Mechanical Engg. from IIT, B.H.U., Varanasi. Presently Chief Engineer (Admn) in Purvanchal Vidyut Vitaran Nigam Ltd, Varanasi under U.P. Power Corpn Ltd, Lucknow, a UP Govt Undertaking and author of following books : 1. Kaho Kauntey (A novel based on Mahabharat) 2. Shesh Kathit Ramkatha (A novel based on Ramayana) 3. Smriti (Social novel) 4. Kya khoya kya paya (social novel) 5. Faisala ( collection of stories) 6. Abhivyakti (collection of poems) 7. Amarai (collection of poems) 8. Sandarbh ( collection of poems), Write articles on current affairs in Nav Bharat Times, Pravakta, Inside story, Shashi Features, Panchajany and several Hindi Portals.