मुक्तक/दोहा

नववर्ष पर दोहे

दो हजार सत्रह  चला, छोड सभी का साथ !
हमें थमा कर हाथ में, नये साल का हाथ !!
आने को मुस्तैद है , नया नवेला वर्ष !
दिल में सबके प्यार का, दिखे उमड़ता हर्ष !!
दो हजार सत्रह चला, खेल कई नव खेल !
हुए बरी कुछ लोग तो, गए भ्रष्ट कुछ जेल !!
मेरी है प्रभु आपसे, यही एक अरदास !
नए वर्ष मे देश में, घर घर हो उल्लास ! !
जाते-जाते साल यह, करा गया अहसास !
बाबाओं पर कीजिये, नहीं मित्र विश्वास !!
हो जाए अब तो विदा, कलुषित भ्रष्टाचार !
यही सोचकर आ गया, जी अस टी इस बार !!
ज्यों पतझड़ के बाद ही, आता सदा बसंत !
खुशियां नूतन वर्ष में, सबको मिलें अनन्त !!
पूरा हमें यकीन है , शासन से इस बार !
नया पिटारा हर्ष का, देगी कुछ  सरकार !!
बदली है तारीख बस, बदले नहीं विचार !
नए साल का कर रहे, नाहक ही सत्कार !!
जाते जाते हो गया , पिछला साल  उदास !
बन जाऊंगा शीघ्र ही, बोला मैं  इतिहास !!
मदिरा में डूबे रहे, लोग समूची रात !
नये साल की दोस्तो, यह कैसी सुरुआत !!
नये साल का कीजिये, जोरों से आगाज !
दीवारों पर टांगिये, नया कलैंडर आज !!
रमेश शर्मा 

रमेश शर्मा

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