ब्लॉग/परिचर्चा

सदाबहार काव्यालय-18

गीत

नए वर्ष का संदेशा

नई उमंगें नई तरंगें, वर्ष नया ले आया है
सभी सुखी हों सब सम्पन्न हों, यह संदेशा लाया है-

 

नए वर्ष में नई पहल हो, जीवन सुगम-सरल अपना
अनसुलझी जो रही पहेली, वह सुलझे न रहे सपना
प्यारे-प्यारे सपन सलोने वर्ष नया ले आया है
सभी सुखी हों सब सम्पन्न हों, यह संदेशा लाया है-

नए वर्ष का उगता सूरज, रंग नए ले आया है
सजें सलीके से सब रिश्ते, ढंग नए ले आया है
नवल हर्ष उत्कर्ष नवल संग वर्ष नया ले आया है
सभी सुखी हों सब सम्पन्न हों, यह संदेशा लाया है-

जो बीता उसे जानें दें हम, नए वक्त के साथ चलें
बीते समय से सबक सीखकर, साथ समय के हम बदलें
आनंद की नवरंग हिलोरें, वर्ष नया ले आया है
सभी सुखी हों सब सम्पन्न हों, यह संदेशा लाया है-

 

नई उमंगें नई तरंगें, वर्ष नया ले आया है
सभी सुखी हों सब सम्पन्न हों, यह संदेशा लाया है.

 

लीला तिवानी

 

Website : https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

 

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tewani30@yahoo.co.in

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “सदाबहार काव्यालय-18

  • राजकुमार कांदु

    आदरणीय बहनजी ! नए साल पर नई शुभकामनाओं व सुविचारों से युक्त यह सकारात्मक प्रेरक रचना बहुत अच्छी लगी । आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएं !

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , नए वर्ष की आप को भी ढेरों मुबारकें .

  • लीला तिवानी

    नए वर्ष में नई पहल हो,
    कठिन जिंदगी और सरल हो.
    अनसुलझी जो रही पहेली,
    अब शायद उसका भी हल हो,.
    जो चलता है वक्त देखकर,
    आगे चलकर वही सफल हो.
    नए वर्ष का उगता सूरज,
    सबके लिए सुनहरा पल हो.
    समय हमारा साथ सदा दे,
    कुछ ऐसी आगे हलचल हो.
    सुख के चौक पुरें हर द्वारे,
    सुखमय आनंद का हर पल हो.
    नए वर्ष में नई पहल हो,
    कठिन जिंदगी और सरल हो.

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