गीत/नवगीत

नव वर्ष का भोर

नव वर्ष का भोर आया है
नये खग- कल गान लाया है
धरा पे मधुर मकरन्द छाया है
पुष्पित फूलों ने एक हार बनाया है।
नव वर्ष का – – – – – – – – – – – – – – – – – – – –

वहक़ रही है सव अन्तर धड़कन
झूम रहे सव तरु – उपवन
देख रही है सबकी चितवन
सप्त स्वर से गीत गाया है।
नव वर्ष का – – – – – – – – – – – – – – – – – – –

मधु ज्वाला से निखरी है धरती
हवाओं में हिचकोले लेती है धरती
संकल्प- विकल्प का आभास कराने
ज्योति पर्व वन आया है।
नव वर्ष का – – – – – – – – – – – – – – –

आत्म मंथन ने मौसम पाया है
जन चेतना का सौरभ छाया है
दिलों में खुशवू विखरने का
दिन अव आया है।
नव वर्ष का भोर – – – – – – – – – – – – – – –

फूलों को देख नई कली ने मुस्कुराया है
चकोर को देख चाँद भी इठलाया है,
तारों ने नव वर्ष के स्वागत में,
एक स्वपन सजाया है।
नव वर्ष का भोर – – – – – – – – – – – – – –

सरित तड़ाग वन सव हो गये प्यारे – प्यारे

फूल कली हो गये न्यारे – न्यारे ,
मिल सवने हर्षित हो
वधाई गीत गाया है।
नव वर्ष का भोर – – – – – – – – – – –

चंचल मन सबकी प्यारी- प्यारी चितवन
थर- थर कपती मन की धड़कन,
नन्ही- नन्ही कलियों ने फिर से स्वपन सजाया है।
नव वर्ष का भोर – – – – – – – – – – – – –

सजा- सजा के स्वप्न सजीले मन को वहकाया है,
बैठ डाल पर करते गान
कलियों ने चहकाया है
नव वर्ष का भोर आया – – – – – – – –

— संतोष पाठक
जारुआ कटरा ( आगरा )

संतोष पाठक

निवासी : जारुआ कटरा, आगरा