राजनीति

लेख– तमिल राजनीति में रजनीकांत की एंट्री के मायने

जयललिता की मौत के बाद दक्षिण के दुर्ग तमिलनाडु में उभरे सियासी शून्य को भरने की दिशा में रजनीकांत ने कदम बढ़ा दिया है। कावेरी जल विवाद को लेकर हुए आंदोलन में भी उनकी हिस्सेदारी रहीं है, और उनकी स्वच्छ-साफ़ छवि सामाजिक सरोकार की भावना की पैरवी करती है। रजनीकांत ने स्वीकार किया है, कि राज्य की सियासी बिसात अच्छी नहीं चल रहीं है, और अगर वे अपने घोषणपत्र को पूर्ण करने में असमर्थ रहेंगे, तो राजनीति छोड़ देंगे। रजनीकांत के इस बयान से दो बातें स्पष्ट होती है, पहली कि वे भी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं से ग्रषित दिख रहें हैं। दूसरी अगर सकारात्मक पहलू देखा जाए, तो स्वच्छ विचारों से बंजर हो चुकी तमिल सियासी भूमि में जनसरोकार की राजनीति को प्राश्रय मिल सकता है। पिछले दशकों की राजनीति गवाह रही है, कि तमिल सियासत में द्रविड़ों की राजनीति हावी रहीं, और राष्ट्रीय दलों की मौजूदगी शून्य ही रहीं है। हिंदी के विरोध के नाम पर चालू हुई राजनीति तमिलनाडु में इस हद तक पहुँच गई, कि भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुँच गया। अब जब रजनीकांत ने अपनी पार्टी गठित करने का ऐलान कर दिया है, तो उनके भाषण से यह स्पष्ट है कि तमिलनाडु की सियासत में बात अब जातिवाद की नहीं, शायद भ्रष्टाचार और सुशासन की होगी। 

वहीं अब प्रश्न यहीं, कि आने वाले समय में तमिल की सियासत किस करवट बैठेगी, क्योंकि अभी तक यहीं कहा जा रहा था कि रजनीकांत भाजपा के साथ जुडेंगे। जो होता दिख नहीं रहा। उसके साथ अब दक्षिण के दुर्ग में नए सिरे से राजनीतिक समीकरणदिख सकता है। तमिलनाडु की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करके यह साबित करने की कोशिश हो रहीं है, कि वे किसी राजनीतिक दल का हिस्सा न बनकर अम्मा की तरह अपनी जमीं तलाशेंगे। वैसे तमिलनाडु की राजनीतिक भूमि का लगाव फिल्मी सितारों से काफ़ी पुराना रहा है। तमिल राजनीति में यह कहना अतिश्योक्ति न होगा, कि लोगों का फिल्मी सितारों के प्रति भावनात्मक, सामाजिक जुड़ाव के साथ राजनीतिक भविष्य भी ज्यादा उन्हीं के हाथों में सुरक्षित समझ में आता है। तभी तो पहले एमजी रामचंद्रन और बाद में जे. जयललिता फ़िल्मी दुनिया के बाद राजनीति का हिस्सा बनी। साथ ही साथ सत्ता की कुर्सी तक पहुँच भी बनाई। इसके इतर अगर एम.करुणानिधि के शुरुआती समय पर निगाहें डालें, तो पता चलता है, कि उन्होंने भी तमिल फिल्मों के लिए पटकथा लेखन से अपने जीवन की शुरूआत की थी। उसी राह पर अब रजनीकांत निकल पड़े हैं।

महेश तिवारी

मैं पेशे से एक स्वतंत्र लेखक हूँ मेरे लेख देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छपते रहते हैं। लेखन- समसामयिक विषयों के साथ अन्य सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर संपर्क सूत्र--9457560896