कविता

कामना

  • हर कोई कितने जन्मों में;
    पाता है जीवन मानव का,

सब कष्टों को सहते सहमे;
पाता है जीवन मानव का,

कितने ही फिर भी बतलाते;
क्यों पाया??जीवन मानव का!

इतनी परीक्षा कठिन पार-कर;
जब पाया है जीवन -सुन्दर,

क्यों इतने कष्टों में डालते;
पार लगा-दो विनती सुनकर,

हे भगवन!हे सुख के सागर!
गले लगालो; हमको आकार।

करुनानिधान बस इतना करदे,
जग के सारे दुखड़े हर दे।

हाथ जोड़ हम करे आराधन,
सुख से भर दे सबका जीवन।

_________’धाकड़’ हरीश
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हरीश कुमार धाकड़

गांव पोस्ट स्वरूपगंज, तहसील-छोटीसादड़ी, जिला-प्रतापगढ़ (राजस्थान)