कविता

मैं श्वान हूँ

रोटी के टुकड़ों पर मेरा जीवन चलता,
कभी-कभी तो मुझको जूठन ही मिलता।
स्वामी कदमों पर लेकिन न्योक्षावर रहता,
मैं रक्षक हूं, मैं सेवक हूं, सेवा में ही रहता।।

पूस रात में कभी किसान बांहों में भर लेता,
हल्की आहट खेतों में, आगे है कर देता।
मैं भी दौंडू, शोर मचाऊं, धमकाऊं कौन है बे,
वापस आने पर मालिक पुचकार हमें है देता।।

मैं श्वान हूं, मालिक मुझको प्यार से शेरू कहता,
उसकी खुशियों के खातिर दिन रात कुलांचे भरता।
पहरेदार हूं खेतों का मैं बंगलों में भी रहता,
तृप्त वहां खाकर होता, स्वच्छंद नहीं पर रहता।।

सेवा भाव रहा है मेरा, स्वार्थ नहीं मैं करता,
पर नेताओं से तुलना हर कोई क्यों करता।
नेता हैं निर्लज्ज बड़े, स्वजन खून को पीते,
अधम, नीच, पापी तुलना से मन मेरा है जलता।।

पहरेदार मैं स्वामी का, सेवा से बतलाता,
सूखी, जूठन या कलेवा से भी काम चलाता।
जो किसान के शत्रु उन्हें खेतों से दूर रपटता,
मैं श्वान स्वामी सेवा में तत्पर हर पल रहता।

🙏🙏🙏🙏🙏
।। प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला, सुलतानपुर
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं