राजनीति

गुजरात चुनाव के संकेत

गुजरात चुनाव में राजनीति ने भले अपनी शुचिता औऱ लोकतांत्रिक सम्मान खोया दिया हो, लेकिन कुछ विशेष बातें उभर कर आई। जो लोकतंत्र के लिए अच्छी ख़बर है। पहली बात भाजपा के विजयरथ पर कुछ हद तक लगाम लगी, और सशक्त विपक्ष को जगह मिली, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही है। विजय रूपानी के शपथग्रहण समारोह में 18 राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और तमाम मंत्रियों की फ़ौज के साथ संतो की टोली से शायद यह शंखनाद हुआ है, कि भाजपा कट्टर हिंदू विचारधारा पर कायम है। ऐसे में राहुल गांधी को समझना होगा, कि नरम हिंदुत्व का प्रयोग सफ़ल होने वाला नहीं। फ़िर राहुल गांधी को विकास और ग्रामीण समस्याओं को तूल देना चाहिए, क्योंकि गुजरात में भाजपा ग्रामीण क्षेत्रों में एकबार फ़िर कमजोर हुई है।

आगामी वर्ष में 8 राज्यों में चुनाव हैं। कांग्रेस 2014 से हार रही है। कांग्रेस को गुजरात से राहत तो मिली है, लेकिन दो राज्यों की हार ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है, कांग्रेस अब बूढ़ी हो चली है। जिसमें नवीन विचार और शक्तिशाली नेतृत्व की कमी है। नई राजनीतिक सोच का पैरोकार न बनना और सिर्फ़ मोदी राग अलापना राहुल और कांग्रेस दोनों के लिए महंगा पड़ा है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान के साथ कुछ छोटे राज्यों में चुनाव होने को हैं। ऐसे में राहुल गांधी को ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का हुजूम तैयार करना होगा, क्योंकि जनेऊ धारण करने के बावजूद असफलता का मतलब साफ़ है, राहुल गांधी की छवि जनप्रिय नेता और सामाजिक मुद्दे से ज़ुड़े नेता की नहीं बन पा रहीं। आख़िर क्यों मंदिर-मंदिर की दौड़ लगाने वाले राहुल का बेड़ा पार नहीं हो सका। सोमनाथ से लेकर द्वारिकाधीश, हिंदुत्व से लेकर मन्दिरनीति सभी को मथ डाला, लेकिन राजनीतिक अमृत नहीं मिला, ज़ाहिर सी बात है, सिर्फ़ विरोध और मंदिर दर्शन की नीति काफ़ी नहीं। ऐसे में जब कांग्रेस को संजीवनी की तलाश थी, वह गुजरात विजय से मिली नहीं। ऐसे में कांग्रेस को मजबूत टक्कर अगर देनी है, भाजपा को, तो जमीं से जुड़े कार्यकर्ता तैयार करने होंगे, साथ में ग़रीब- किसान की बातों से सत्ता पक्ष को घेरना होगा, न कि धर्म के नाम पर गोलबंद होना होगा, क्योंकि भाजपा ने तो 2019 की तैयारी विजय रुपानी के शपथग्रहण समारोह में अपनी ताकत दिखाकर कर दी है।

महेश तिवारी

मैं पेशे से एक स्वतंत्र लेखक हूँ मेरे लेख देश के प्रतिष्ठित अखबारों में छपते रहते हैं। लेखन- समसामयिक विषयों के साथ अन्य सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर संपर्क सूत्र--9457560896