गीत/नवगीत

मुक्ति में है मौज बड़ी

मुक्ति में है मौज बड़ी
लाती है खुशियों की झड़ी,
मुक्ति ही अनमोल रतन है,
क्या सुख दे हीरों की लड़ी!

मुक्ति का सुख वह ही जाने,
जो इसका मधुरस पहचाने,
मुक्ति का सुख देने में भी है,
मुक्ति की तड़प वाला यह माने.

मुक्ति ही हमको हर्षाती,
आनंद-धन जीवन में लाती,
मुक्ति प्रसाद है परम प्रभु का,
और अनंत की अनुपम पाती (पत्र).

 

मुक्ति एक अहसास है,
जो सबके लिए ख़ास है,
इसमें नहीं कोई छोटा-बड़ा,
मुक्ति की बस सबको प्यास है.

 

मुक्ति है आनंद की आभा,
मुक्ति है खुशियों का उजास,
मुक्ति है उन्नति की आशा,
मुक्ति जीवन का मधुमास.

 

मुक्त है धरती, मुक्त गगन है,
मुक्त दिशाएं, मुक्त पवन है,
मुक्ति की चाहत भी मुक्त है,
मुक्ति की चाहत को नमन है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

3 thoughts on “मुक्ति में है मौज बड़ी

  • सीमा सिंघल 'सदा'

    अनुपम सृजन

    • लीला तिवानी

      प्रिय सखी सीमा जी, रचना पर समय देने, संज्ञान लेने व सटीक-सार्थक प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया.

  • लीला तिवानी

    मुक्ति के अनुपम आनंद का क्या कहना! सच है- मुक्ति में है मौज बड़ी.

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