कविता

लाल बत्ती और ससुराल

हट गई लाल बत्ती नेताजी की कार से तो हुए बहुत निराश
जायेंगे ससुराल तो कैसे पड़ेगा रोब उनकी साली पर और सास

साली पर और सास कैसे ससुराल वाले कहेंगे लाल बत्ती वाले जीजा
मन में सोची छीन जायेगी गाड़ी भी इसलिय इस दुःख को पीजा

लाल बत्ती की आवाज से हट जाती थी जो जनता
आज हमको देख उनको कुछ फर्क नहीं पड़ता

चुनाव जीता सिर्फ इस बत्ती की खातिर बीवी ने दिया उल्हाना
धूल में मिल गये सपने जब बत्ती बिना साले ने भी ना पहचाना

बत्ती बिना जैसे नेताजी हो गए अब तो रंडुआ
लूट गई समाज में इज्जत ऐसा उनका हाल हुआ

बैठे सोच रहे कोई उपाय पावें कैसे दुबारा लाल बत्ती
न मिला अब तक उपाय रह गए नेताजी से अब केवल पति

राजेश मेहरा

मो 09810933690