ब्लॉग/परिचर्चा

सदाबहार काव्यालय-26

गीत

 

प्रेम का गुलशन महक रहा है

 

मन का मधुबन चहक रहा है

प्रेम का गुलशन महक रहा है-

 

चारों ओर हैं आज बहारें

फूल-ही-फूल हैं जिधर निहारें

सूरज दमके, चंदा चमके

तारों का जाल भी लहक रहा है

प्रेम का गुलशन महक रहा है-

 

इस गुलशन में जो भी आया

उसने निज मन को महकाया

उसने चाहत-राहत पाई

साज़ खुशी का खनक रहा है

प्रेम का गुलशन महक रहा है-

 

प्रीत की है बस रीत निराली

जिसने निभाई उसने पाई

लाख हों मुश्किल, पाया है हल

रंग इश्क का झलक रहा है

प्रेम का गुलशन महक रहा है-

 

लखमीचंद तिवानी

 

वेबसाइट-
http://www.ltewani.com/2008/06/welcome.html

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “सदाबहार काव्यालय-26

  • रविन्दर सूदन

    आदरणीय लीला बहन जी,
    लख्मीचंद जी ने वही कहा जो उनके दिल में है । जितना सुन्दर दिल वैसी ही
    सुन्दर रचना ।

    • लीला तिवानी

      प्रिय रविंदर भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. जितना सुन्दर दिल वैसी ही सुन्दर रचना. इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , भाई साहब की रचना बहुत्ब सुन्दर लगी .

    प्रीत की है बस रीत निराली

    जिसने निभाई उसने पाई

    लाख हों मुश्किल, पाया है हल

    रंग इश्क का झलक रहा है

    प्रेम का गुलशन महक रहा है- वह किया लिखा है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि आपको रचना बहुत सुंदर लगी. हमेशा की तरह आपकी लाजवाब टिप्पणी ने इस ब्लॉग की गरिमा में चार चांद लगा दिये हैं. इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    प्रेम एक घटना नहीं, ज़िंदगी है,
    प्रेम एक क्रिया नहीं, अस्तित्व है,
    प्रेम एक भावना नहीं, आपका प्राकृतिक स्वभाव है.

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