हास्य व्यंग्य

एक मसीहा जो नेता बनते -बनते रह गया।

आजकल अच्छा आदमी होने और मसीहा होने के बीच जबदस्त मुकाबला देखा जा सकता है ।मुकाबला तो नेता,अच्छे आदमी और मसीहा इन तीनों के बीच में है लेकिन जीत हमेशा नेता रहा है। न सिर्फ जीत रहा है बल्कि मसीहा और अच्छे आदमी को मुह भी चिड़ा रहा है।
मैं देख रही हूं सारे ही अच्छे आदमी पहले मसीहा बने फिर नेता बन गए ।अगर कहा जाए कि मसीहा बनना नेता बनने की प्रथम पाठशाला है तो कोई गलत बात नहीं होगी ।अगर आप ने अच्छे मसीहा बनने के सारे एग्जाम ढंग से पास कर लिए हैं तो आपके नेता बनने की सीट पक्की। दिल्ली से लेकर गुजरात तक और गुजरात से लेकर तमिलनाडु तक सभी मसीहा बनने की दौड़ में एक दूसरे को पटकनी देते घूम रहे हैं।
इनकी दौड़ के बीच में कहीं कोरेगांव कुचला जा रहा है तो कभी गुजरात तो कभी दिल्ली ।लेकिन वो कैसा मसीहा जिसके पैरों में खून न लगा हो ! कभी अपनों का तो कभी गैरों का।
मसीहाई और नेतागिरी दोनों ही लाशों के पहाड़ पर खड़े होते हैं। सारे ही मसीहाओं के अपने दाव -पेंच होते हैं ।एक अच्छा नेता ही एक अच्छा मसीहा बन सकता है ये बात इतिहास से भी सीखी जा सकती है।
कांग्रेस में जितने भी अच्छे मसीहा थे वे सभी अच्छे नेता बने और जो सिर्फ अच्छे थे वे नेताओं को सलाम करते रहे।
ये बात सिर्फ हमारे देश ,राज्य तक ही सीमित नहीं है। हमारे पड़ोसी जिन्हें हम मुंबई हमलों का जालसाज मानते हैं ,जो कई सालों तक नज़रबंद रहा ,वो सीधे मसीहा से नेता बन जाने के लिए बेकरार हमारे सामने है। अब वो चुनाव लड़ेगा और मसीहा से सीधे नेता बन जायेगा।
असल में मसीहा होने के बाद नेतागीरी के रास्ते की सारी अड़चने ही निकल जाती हैं लोगों का ध्यान ही नहीं जाता कि वे मीन मेख निकालें ।लोग तो ऐसे मसीहाओं के साथ भारत तेरे टुकड़े होंगे से लेकर जयकारे लगाते हैं।
लोग आजकल परेशान हैं । आरक्षण का महान मसीहा जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया है।
ये महान रोबिन हुड लूटपाट में इस कदर लिप्त हुआ कि रंगे हाथों पकड़ा गया। लोग इंतज़ार में हैं जनता जागेगी और रॉबिन हुड छूट जाएगा। मगर अफसोस है कि गरीबों के इस मसीहा ने गरीबों को ही लूट लिया और सारा समाजबाद घर की तिजोरी में बंद हो गया। अब नतीजा ये है कि धीरे – धीरे तिजोरी तोड़ी जाएगी और समाजबाद को मुक्त कराया जाएगा।
मसीहा से नेता बन जाने में ये ही बुरी बात है कि हर बात पर नेतागिरी का मुलम्मा चढ़ जाता है जिसे आदमी चाह कर भी उतार नहीं पाता।
इस समय भी देश में मसीहाओं की चारो तरफ से लहर उठ रही है।ये लहर बता रही है कि सभी मसीहा नेता बनने के लिए बेकरार हैं।कुछ बन भी गए हैं,कुछ तो मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं।लेकिन मुझे पूरा यकीन है कि जल्दी ही एक नेता मसीहा पर हावी होगा और मसीहा फिर सभी जेल की सलाखों के पीछे जाएंगे।
कहते हैं न!भगवान के घर देर है ,अंधेर नहीं!