गीत/नवगीत

गीत

सबने केवल गीत लिखे है ,लैला शीरीं हीर के

कोई गीत नही लिखता है , भारत माँ की पीर के

 

सब ग़ज़ले लिखने में रहते ,  शेरों में  श्रृंगार लिखे

आशिक लिखते, राँझा लिखते , मजनूं का वो प्यार लिखे

 

कोई कलम न लिखना चाहती, भारत माँ की आहो को

सबने लिखना चाहा है बस, नैनो बालो बाँहो को

 

सबने ग़ज़ल लिखी है केवल , पायल बिंदिया रोली पे

कोई गीत नही लिखता उन , मस्तानो की टोली के

 

कोई किस्सा नही सुनाता ऐसी एक अभागन का

सत्तर सालो से जो सहती , आयी दर्द विभाजन का

 

जहाँ कविता बयान न करती , माँ भारती के हाल को

हाथ जोड़ कर करूँ विनंती, वहाँ से मुझे निकाल दो

 

— मनोज “मोजू”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.