गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

प्यार को भी प्यार से ही प्यार करके देखिए …..
गीतिका यक प्यार से ही आप रचके देखिए …..

आ गये जो चमन में तो , आज बस ही जाइए …..
बैठ , इसकी रौनकों पर , मनन करके देखिए …..

इस चमन का सौंदर्य तो , मन हमारा मोहता …..
हर अदा से चार सू , नज़रें भरके देखिए …..

हो उदासी अब अगर , जिस चेहरे पर टूटती …..
अब मनाएँ उसे , आँसू ही न छलके देखिए …..

चैन कितना पा सकोगे , जो मिले छात्र दुखी …..
उस विद्यार्थी की अभी ही , फ़ीस भर के देखिए …..

चैन उनको मिल सके कैसे , नशे की लत रही …..
शाम होते ही कहीं भी , जाम छलके देखिए …..

मंदिरों की , मस्जिदों की , क्या किसी को है पड़ी …..
है अर्चना का भवन , सौगात उसके देखिए …..

सँभली थी जो रखी थी , ख़ास तरह से कहीं …..
टूटते – बिखरे सभी , माला के मनके देखिए …..

भेदभावों की यही दुनिया , अभी मज़बूर है …..
अब ज़रा भाईचारे का , स्वाद चखके देखिए …..

आज हम आज़ाद हैं , पर कुछ परेशानी ही रही …..
एकता का गढ़ ‘ रश्मि ‘ , सब ही न ! गढ़के देखिए …..

— रवि रश्मि ‘अनुभूति’