हास्य व्यंग्य

व्यंग्य – घुसपैठ का चतुर्दिक अंदेशा

यदि आप सोचते हैं कि मैं भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानियों अथवा तालिबानी घुसपैठियों के सम्बन्ध में लिखने जा रहा हूँ तो आप शत प्रतिशत मुगालते में हैं। उस घुसपैठ पर तो सारे देश कि नज़र है क्योंकि यह तो राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न है। मैं उस घुसपैठ को सुधि पाठकों के बीच प्रस्तुत कर रहा हूँ जो रोज हमारे घरों आफिसों और दिलोदिमाग में होती रहती है और हमें मालूम ही नहीं पड़ता अथवा हम उसे घुसपैठ मानते ही नहीं हैं।
आपने सुपर डीलक्स बस में रिज़र्वेशन करवाया है। चूँकि रिज़र्वेशन आपके पास है आप बस छूटने के दस मिनिट पहले अपनी सीट तलाशते हुए पहुँचते हैं। परंतु आप पाते हैं कि आपकी सीट पर कोई दूसरी आत्मा सशरीर बिराजमान है। आप कहते हैं भाई साहिब यह सीट मेरे लिए रिसर्व है तो भाई साहिब आग कि तरह भभक उठते हैं। “हम एम्. एल. ए. के खास आदमी हैं, स्पेशल फोन करके यह सीट रख वाई है, खिड़की तरफ क़ी,क्योंकि हमको बार बार तम्बाकू क़ी पीक थूकनी पड़ती है। “हो गई न घुसपैठ, कंडक्टर भी हाँ में हाँ मिला देता है। अब एम्. एल. ए. के खास आदमी से कौन पंगा ले।
ठेंगामल के ठाठ निराले ही हैं। सुबह सुबह लगभग रोज ही हमारे गेटवे आफ गरीब हाउस में बेधड़क प्रवेश कर जाते हैं। “नमस्कार बड़े भाई भाभी जी नहीं दिखाई दे रहीं हैं, शायद नाश्ता वाश्ता बन रहीं होंगी। सोचा आपके यहां ही चाय पी लूँ। भाभीजी के हाथ के नाश्ते का मजा ही कुछ और है। और वह बेशर्म बेहया नाश्ता करके ही निकलता है।
अब आप ही बताइये ऐसे घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए किस देश क़ी बनी मिसाइल दागी जाए, कितना आर. डी.एक्स या बारूदी पाउडर उपयोग में लिया जाय। आप अपनी चोर नज़रें किसी भी दिशा में इनायत करें आपको चारों ओर घुसपैठ ही नज़र आएगी। नौकरी में सिफारिश एवं घूस क़ी घुसपैठ, विवाह में दहेज़ क़ी घुसपैठ, शुद्धता में मिलावट क़ी घुसपैठ, मेजवानों में मेहमानों क़ी घुसपैठ, देश क़ी संस्कृति में विदेशी कल्चर क़ी घुसपैठ, समाजवाद में साम्राज्यवाद की घुसपैठ, घर में जोरू के भाई अथवा सास क़ी घुसपैठ। गोया घुसपैठ कोई क्रांति हो अथवा समाज सुधार क़ी ओर बढ़ता कोई कदम हो।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे देश में घोड़ों में गधों क़ी घुसपैठ का विकास इतनी तीव्र गति से हुआ है कि घोड़ों और गधों में अंतर करना कठिन हो गया है। इससे बुद्धि जीवी नामक प्राणी को बड़ा कष्ट है। वे संवेदनशील हैं, समझदार हैं, स्वाभिमानी हैं परंतु घुसपैठ के योग्य नहीं हैं। उन्हें मेरी सलाह है कि किसी घुसपैठ प्रशिक्षण केंद में प्रशिक्षण लेकर अपना लोक परलोक सुधार लें। मैं देश के आम लोगों को भी चेतावनी देता हूँ कि वे सतर्क रहें। उनके घर में, आंगन में खेत में आफिस में दुकान अथवा दिलोदिमाग में कोई घुस पेठ तो नहीं कर रहा है। यदि घुस पेठ हो रही है तो उसे वीर बहादुर बनकर रोकें। हाँ दूसरों बिलों मैं अथवा दिलों में घुसपैठ का प्रयास करते रहें। ईश्वर अवश्य सफलता देगा।

— प्रभुदयाल श्रीवास्तव

*प्रभुदयाल श्रीवास्तव

प्रभुदयाल श्रीवास्तव वरिष्ठ साहित्यकार् 12 शिवम् सुंदरम नगर छिंदवाड़ा म प्र 480001