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सदाबहार काव्यालय-36

गीत

यह देश तेरा भी मेरा भी

 

 

अल्लाह गर हैं तेरे भगवान हैं मेरे भी

है लाल लहू तेरा तो लाल है मेरा भी

 

इंसान रहो बनके यह सबने सिखाया है

यह देश तो है पहले तेरा भी मेरा भी

 

बांटा है हमने रब को ऐलान कर दो सबको

अब देश ना बांटेंगे ये तेरा भी है मेरा भी

 

हिन्दू हों चाहे मुस्लिम हम एक मां के बेटे

मिलजुल कर बढ़ें आगे यह देश हमारा है

 

बाजू ही हैं हम दोनों एक जिस्म हमारा है

यह भी मुझे प्यारा है वह भी मुझे प्यारा है

 

राजकुमार कांदु

 

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*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “सदाबहार काव्यालय-36

  • लीला तिवानी

    प्रिय ब्लॉगर राजकुमार भाई जी, सदाबहार काव्यालय में आपकी प्रतिनिधि रचना आपकी कविता हमें बहुत अच्छी लगी. आपकी सशक्त लेखनी के साथ-साथ आपकी अद्भुत भावाभिव्यक्ति को भी सलाम. इतनी सुंदर काव्य-रचना के आपका आभार व अभिनंदन.

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