बाल कविता

चुमकी चिड़िया – बाल कविता

 

भोर खिली, सूरज मुस्काया
देख-देख अंबर हर्षाया

चुमकी चिड़िया जाग गयी है
सारी सुस्ती भाग गयी है

उसकी माँ ने बोला था कल
अब तू भी दाने चुगने चल

सो चुमकी करती तैयारी
उड़ने की आई है बारी

*कुमार गौरव अजीतेन्दु

शिक्षा - स्नातक, कार्यक्षेत्र - स्वतंत्र लेखन, साहित्य लिखने-पढने में रुचि, एक एकल हाइकु संकलन "मुक्त उड़ान", चार संयुक्त कविता संकलन "पावनी, त्रिसुगंधि, काव्यशाला व काव्यसुगंध" तथा एक संयुक्त लघुकथा संकलन "सृजन सागर" प्रकाशित, इसके अलावा नियमित रूप से विभिन्न प्रिंट और अंतरजाल पत्र-पत्रिकाओंपर रचनाओं का प्रकाशन