बाल कविता

एकता में बल है

एक पेड़ पर रहता था,
गौरैया का सुंदर जोड़ा,
थोड़ा-सा वो समझदार था,
अलबेला था थोड़ा-थोड़ा.

सोचा इक दिन गौरैया ने,
बन जाता जो एक घोंसला,
हम भी सुख से रह सकते तो,
होता हमको खूब हौसला.

नदी किनारे एक पेड़ पर,
गए बनाने अपना घर,
देखा खूब पक्षियों को तो,
भागे झट से घबराकर.

यहां नहीं हम रह सकते हैं,
खूब शोर है मचा यहां,
हमको रहना है एकांत में,
पहुंच न पाए शोर जहां.

पहुंच अकेले एक पेड़ पर,
नन्हा-सा इक नीड़ बनाया,
छोटे-छोटे अंडे उसमें,
देख बिल्ले का जी ललचाया.

मौका देख के किया सफाया,
गौरैया को खूब छकाया,
गौरैया ने झट से जाकर,
पक्षिगण से प्रेम बढ़ाया.

एक दिवस फिर बिल्ला आया,
अंडे देख बड़ा ललचाया,
सोचा झट से खाकर इनको,
अपनी भूख मिटाऊंगा मैं.

एक बाज ने बिल्ला देखा,
झट सब चिड़ियों को ललकारा,
सब मिलकर बिल्ले पर झपटे,
मिला बिल्ले से झट छुटकारा.

आओ हम सब हिलमिल खेलें.
कभी न झगड़ें और लड़ें,
मिलकर रहने से हम सबको,
कभी न खानी मात पड़े.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “एकता में बल है

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    sundar baal geet lila bahan .

  • लीला तिवानी

    मिलकर रहने से हम सबको लाभ होता है. एक दूसरे के काम आना ही मानवता है. एक और एक ग्यारह होते हैं.
    सच है, एकता में बल है.

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