कविता

सृजन

नहीं आसान

 

धरती में दबे रह कर
खोल से आना बाहर
अँकुर का,
नींव को पाट कर
निर्माण करना
इक नई छत का
नहीं आसान…..

दिन रात का मंथन

बताता मर्म जीवन का
गर्भ में रख शिशु को
करना पोषण
सहना प्रसव पीड़ा,
मिलना नया जीवन
नहीं आसान….

प्रेम का अंकुर
अश्रु सें सिंचता
होता तब कहीं
पल्लवित
तीक्ष्ण किरणों के कारण
पिघलता हिम
नदियों का प्रवाह
नहीं आसान….

है पीड़ा बहुत
सृजन के मूल में
इसको पार कर
निर्माण करना
समझना मर्म
जीवन का
नहीं आसान

शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - shipradkhare@gmail.com