शिशुगीत

दो का पहाड़ा

दो एकम दो, आज्ञाकारी हो.
दो दुनी चार, झटपट हो तैयार.
दो तीया छः, सफ-साफ रह.
दो चौके आठ, याद करो पाथ.
दो पंजे दस, झगड़ा करो बस.
दो छके बारह, काम करो ज्यादह.
दो सते चौदहा, छोटा होता पौधा.
दो अठे सोला, सच्चे का बोलबाला.
दो नाम अठारा, झूठे का मुंह काला.
दो दहाई बीस, प्रभु को नवाओ सीस.

 

मिलाएंगे-घटाएंगे
एक में एक मिलाएंगे, दो की गिनती पाएंगे.
दो में एक मिलाएंगे, तीन की गिनती पाएंगे.
तीन में एक मिलाएंगे, चार की गिनती पाएंगे.
चार में पांच मिलाएंगे, नौ की गिनती पाएंगे.
ग्यारह से दो घटाएंगे, नौ की गिनती पाएंगे.
नौ से पांच घटाएंगे, चार की गिनती पाएंगे.
चार से एक घटाएंगे, तीन की गिनती पाएंगे.
तीन से एक घटाएंगे, दो की गिनती पाएंगे.
दो से एक घटाएंगे, एक की गिनती पाएंगे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “दो का पहाड़ा

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , ऐसे पहाड़े तो बच्चे कभी भी नहीं भूल पायेंगे .बचपन याद आ गिया .

  • लीला तिवानी

    आज से 40 साल पहले छोटे बच्चों को हम इसी तरह खेलते-गाते गणित सिखाते थे, ताकि वे रुचिपूर्वक सीख सकें और ऐसा हुआ भी.

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