कविता

अजन्मी बेटी का खत

मैं अजन्मी बेटी हूं तो क्या
सजीव तो हूं 
समझती हूं सब कुछ
कभी कुछ कह पाती हूं
कभी चुप रह जाती हूं
आज मुझे कुछ बोलने दो
बेटों की चाह थी माता-पिता को
भारत में पैदा हुईं 
2.1 करोड़ ‘अनचाही’ लड़कियां
इनमें सम्मिलित नहीं है
6.3 करोड़ ‘गायब’ बेटियों का आंकड़ा 
गर्भ में बेटी होने के कारण 
जिनकी हत्या हुई
आखिर ऐसा क्यों होता है?
शादी में अधिक दहेज देने के डर के कारण?
बेटी ने तो कभी दहेज नहीं मांगा न!
बदलो अपने रीति-रिवाजों को,
बहिन-बेटी के बलात्कार के डर से?
बदलो पुरुषों की कुत्सित मानसिकता को,
मैं समर्थ हूं
सक्षम हूं
हर काम कर सकती हूं
देश के कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में 
महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाओ
और फिर देखो मेरी जिम्मेदारी का जादू
मैंने जिस क्षेत्र में कदम रखा
वह लहलहा उठा है
तुम जानना चाहते हो
अजन्मी बेटी की ताकत!
मैंने अपनी मां को दी नई जिंदगी
एरिका है मेरी मां का नाम
मेरे जन्म से पहले 
जब डॉक्टरों ने उनका चेक-अप किया 
उनकी पल्स भी नहीं चल रही थी 
हार्ट बंद हो चुका था
सीजेरियन के जरिए मेरा जन्म होते ही
जिंदा हो गई मेरी मां
समय पड़े तो बेटी अपना भी
बनती सबल सहारा है
वैर-भाव को दूर हटाकर
बरसाती रस-धारा है
बेटी भाग्य तुम्हारा है,
बेटी भाग्य तुम्हारा है,
बेटी भाग्य तुम्हारा है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “अजन्मी बेटी का खत

  • लीला तिवानी

    बेटों की चाह में भारत में पैदा हुईं 2.1 करोड़ ‘अनचाही’ लड़कियां. इन्हीं में से एक अजन्मी बेटी का अपनी मां को खत है, कि वह उसे किसी से कम न समझे. फिर बेटी है तो संसार में सृजन हो सकता है. आवश्यकता है भ्रूण हत्या और बलात्कार के दुर्गुणों को बंद करने की.

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