बाल कविताशिशुगीत

स्वर बोलते हैं

‘अ’ अनार पर बैठा है,
मन ही मन में ऐंठा है.

‘आ’ ने आम का गुटका खाया,
अटक गया तब आ चिल्लाया.

‘इ’ इमली पर हो सवार,
पहुंची सात समंदर पार.

‘ई’ ने घर में ईख लगाई,
आओ चूसें गन्ने भाई.

‘उ’ ने उल्लू को ललकारा,
भाग गया उल्लू बेचारा.

‘ऊ’ ने ऊन मंगाई है,
काश्मीर से आई है.

‘ए’ कहता है एक कहानी,
एक था राजा एक थी रानी.

‘ऐ’ ने ऐनक को ललकारा,
बंद करो ये गड़बड़झाला.

‘ओ’ ओखल को थेल रहा है,
बैठा-बैठा खेल रहा है.

‘औ’ औरत का बेटा है,
खेल-कूदकर लेटा है.

‘अं’ पर लटक रहे अंगूर,
बैठे खाते हैं लंगूर.

‘अ:’ को कौन यहां पर लाया,
नहीं समझ में मेरी आया.

(रुचिपूर्वक स्वर क्रम से याद करवाने हेतु बच्चों के लिए, बाल गीत)

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “स्वर बोलते हैं

  • लीला तिवानी

    रुचिपूर्वक स्वर क्रम से याद करवाने हेतु बच्चों के लिए यह बाल गीत अत्यंत लोकप्रिय हुआ.

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