बाल कविताशिशुगीत

एक देश अनेक धर्म

देश हमारा एक है बच्चो,
अलग-अलग हों चाहे धर्म,
अपना-अपना धर्म पालते,
करते रहना है शुभ कर्म.

रहते हिंदू इस भारत में,
करते पूजा मंदिर में,
‘राम-कृष्ण’ कह शीश झुकाते,
हाथ जोड़ते मंदिर में.

यहीं पर रहते मुस्लिम भाई,
मस्जिद में है इनकी खुदाई,
कहकर ‘अल्लाह’ करें बंदगी,
नहीं किसी की करें बुराई.

सिक्खों की अब बात सुनो तुम,
गुरुद्वारों में पूजा करते,
‘गुरु नानक’ को खूब मानते,
नहीं किसी से हैं ये डरते.

जो कहलाते ईसाई हैं,
‘ईसा’ के ये शैदाई हैं,
गिरिजाघर में वो जाते हैं,
पवित्रता को अपनाते हैं.

चाहे किसी धर्म को मानें,
पहनें कैसी भी पोशाक,
हम तो भारतवासी पहले,
याद रखें और बन जाएं पाक.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “एक देश अनेक धर्म

  • लीला तिवानी

    भारत प्यारा देश हमारा,
    है सारे देशों से न्यारा,
    विंध्य-हिमाचल रक्षा करते,
    सींचे गंगा-यमुना धारा.
    इसकी हर बेटी प्यारी है,
    हर बेटा है इसका दुलारा,
    एक ही माला के हम मोती,
    यह है अपना भाग्य-सितारा.

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