कविता

वसन्त

वसन्त ऋतु का हुआ आगमन, चहुँ ओर सुरम्य हरियाली है।
पेड़ों पौध लताओं में सुमन खिले, खेतों खलिहानों में कोयल कूक निराली है।।
फसलों में अन्न का अंकुर फूटा, घर- घर मे फागुन की बयार रसवाली है।
भारत माँ का सौंदर्य निखरता, मधुमास खेलता रंगों की होली है।।
होली का उत्सव रंग बिखेर रहा, जन-जन झूम रहा है फागुन के गीतों से।
झरने नदियां कल-कल बहती, जंगल पर्वत के उत्तुंग शिखर हैं खड़े शान से।।
सीमा पर बैरी को चूर-चूर करते,भारत के वीर जवान अपनी बन्दूक की गोली से।
युवा वृन्द राष्ट्र चिंतन कर रहा, सामाजिक समरसता के अनुपम गीतों से।।
सत्य मार्ग के पथ अपनाएं, होली के रंग में हम सबको रंग दें।
कोई हिरणाकश्यप बचने न पाए, सब भय, तिमिर, तमस हटा उजाला कर दें।।
भक्त प्रह्लाद से अडिग रहें, सत्य सनातन अपना सत्य अटल कर दें।
मधु ऋतु की सुंदर स्वर लहरी से, भारत माँ का यश गुणगान अमर कर दें।।

*बाल भास्कर मिश्र

पता- बाल भाष्कर मिश्र "भारत" ग्राम व पोस्ट- कल्यानमल , जिला - हरदोई पिन- 241304 मो. 7860455047