गीत/नवगीत

गीत – होली है

फाल्गुन प्यारा आया रे, कि खेलते होली हैं वृज की।
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
वृज की जो होली कृष्ण ने खेली,
रास रची लीला सभी गोपी चेली।
मथुरा के वासी भी, कि प्यार से खेलते होली;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
देवदूत प्रह्लाद नाम है जिसका,
मारने के बहाने से जल गई होलिका।
धरम की जै हुई है, कि खेलते होली हैं तब से;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
स्वागत बसंत का करते हैं सारे,
चहुं ओर गन्ध ये खिले फूल प्यारे।
हरियाली छाई है, कि खेलते होली हैं वृज की;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
प्रेम-मिलन का ये पर्व है सबका,
मिलते हैं छोड़ के द्वेष सब मनका।
नहीं भेद धर्म का है, कि खेलते होली हैं वृज की;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
देवर-भाभी का प्रेम है इसमें,
रंग-गुलाल का मेल है जिसमें।
मिलते हैं प्यार से ये, कि खेलते होली हैं वृज की;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
पास-पड़ोस में मेल-मिलन का,
बनाते हैं गुजिया इजहार प्रेम का।
प्यार से खाते-खिलाने हैं, कि खेलते होली हैं वृज की;
क्योंकि बसंत बहार है।।•••
फाल्गुन प्यारा आया रे, कि खेलते होली हैं वृज की;
क्योंकि बसंत बहार है।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट “स्नेहिल”

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल spbsnehill@gmail.com