कविता

बीती  होली  की यादें up

बीती  होली  की यादें
कैसे कैसे बीती होली, 
प्यारी वह बचपन की होली, 
टब बाल्टीयों में घोल कर बोतलों में रंग भरते थे, 
आने जाने वालों को मिलकर हम तंग हम करते थे ,
जो लग जाता हाथ हमारे करते थे उसका बुरा हाल,
 लाल हरा नीला पीला  कर मल देते थे खूब गुलाल, 
जो करता कटने की कोशिश उसे मारते भरा गुब्बारा, 
नहीं देखते थे हम उस दिन, कौन पराया कौन हमारा 
बचपन बीता फिर आई वह कालेज छात्रावास की होली, 
भंग पीस कर नाच नाच कर खूब मनाई हमने होली,
जो जाना पहचाना मिलता उसको हमने गले लगाया,
होली के दिन सब है अपने लगता नहीं कोई भी पराया, 
अब जो होली है वो होली  लगता है बस होली हो  ली, 
न वैसा हुढ़दंग न मस्ती न वैसी यारों की टोली, 
 बस मिलन हुआ और नमस्कार कर तिलक लगा कर होली हो  ली,
आज भी अखियाँ नम हो जाती, जब आती याद बचपन की होली….   
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जय प्रकाश भाटिया 
Jai Prakash Bhatia
होली है,
आओ मिल कर खेलें होली ,रंग बिरंगी प्यारी होली,
प्यार और इकरार की होली, मस्तीऔर बहार की होली।
साली को भी इंतज़ार है ,कब जीजा रंग लगाएगा ,
चंदू करता इंतज़ार कब भोला भंग पिलाएगा,
देवर लेकर के पिचकारी ,भाभी पीछे भागा है,
देर से उठने वाला पप्पू सुबह सुबह ही जागा है ;
कहीं है बर्फी कहीं हैं लड्डू ,कोई गुजिया का मतवाला है,
आज कहीं कोई गैर नहींहै , हर कोई दिल वाला है ,
यारों की टोली ने भी देखो घर घर धूम मचाई है,
नयी नवेली दुल्हन सी ,चन्द चाची शरमाई है,
शर्मा वर्मा राजू सोनू, रंग रंगीले झूम रहे हैं, 
नटखट बच्चे ले गुब्बारे बचने वालों पर टूट रहे हैं, 
आओ ऐसे खेले होली-
जैसे कृषण राधा की होली,
जैसे ग्वाल गोपीयों की होली,
रंग अबीर गुलाल की होली,
धमाल और धूम मचाती होली,
होली को न हुड दंग बनाओ,
प्यार से सबको गले लगाओ,
सभी ग़मों को भूल के यारो,
होली में अपना रंग जमाओ ,
आओ 

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845