गीतिका/ग़ज़ल

खिला खिला ये रूप का गुलाब क्या कहना

खिला खिला ये रूप का गुलाब क्या कहना
निगाह से छलक रही शराब क्या कहना

दयार में कयी हसीन और हैं लेकिन
तुम्हारा बेमिसाल ये शबाब क्या कहना

नज़र उठी तो छोड़ कर गयी सवाल कयी
नज़र झुकी तो हो गयी जवाब क्या कहना

पढ़े जो एक बार बार बार जी चाहे
तुम्हारे रूप की खुली किताब क्या कहना

झुकी हुई कमर गरीब की नही दिखती
मिली जो कुर्सियाँ बने नवाब क्या कहना

गरीब है जवां मगर जवां नही दिखता
जनाब का सियासती रुआब क्या कहना

जनाब तीरगी जहान की मिटाने को
नया उगा रहे हैं आफताब क्या कहना

सतीश बंसल
१७.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.