गीतिका/ग़ज़ल

मिले हर दर्द की अब तो दवाई चाहिये मुझको

मिले हर दर्द की अब तो दवाई चाहिये मुझको
तुम्हारी कैद से सचमुच रिहाई चाहिये मुझको

कुबूलो सब गुनाहो को यही इक रास्ता है बस
सिवा इसके नही कोई सफ़ाई चाहिये मुझको

फरेबों की दिखावट की ऊँचाई छोड़ दी मैने
मेरे कद में हक़ीक़त की ऊँचाई चाहिये मुझको

हमेशा जो किसी भी हाल में सच को लिखे सच ही
वही ईमान की अब रोशनाई चाहिये मुझको

मेरे सुख में मेरे दुख में निभाएं जो सदा मुझसे
किसी हमदर्द की वो आशनाई चाहिये मुझको

तुम्हारे नफ़रतों के भाषणो के कर्कशी स्वर से
बचाए रूह जो अब वो रूबाई चाहिये मुझको

बहुत मैली हुई है पावनी गंगा सियासत की
किसी भी हाल अब इसकी सफ़ाई चाहिये मुझको

सतीश बंसल
१२.०२.२०१८

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.