कहानी

कहानी- पवित्र प्रेम

आरोही की आंखों से आंसू बह रहे थे उसने आज उस गलती की सजा पायी थी जो उसने की ही नही थी।शायद दुनिया की नज़र में गलती थी मगर महज एक आकर्षण को प्रेम का नाम देना बेवकूफी ही होगी। सब कुछ भूलकर आगे तो बढ़ जाती मगर लोगो के तानों और उनकी बातों से आरोही घुट घुट कर जीने के लिए मजबूर थी। काश वो दिन आया ही नही आता जब वो उस धूर्त अक्षय से मिली थी। क्यूँ दुनिया सिर्फ लड़की को ही चरित्रहीन होने का तमगा दे देते हैं। कसूर किसका था पता नही मगर यदि कोई लड़की किसी लड़के को छोड़ दे जब उसको पता चले कि वो लड़का उसको धोखा दे रहा है। आरोही की भावनाओं की कद्र करने वाला कोई नहीं था।

मगर किस्मत ने क्या लिखा था उसके लिये!

आज पूरे 7 साल बाद उसको आरव मिला उसको जिसने उसको प्यार और इज्जत दोनो ही दी। यही तो प्यार था । आरव को आरोही की तकलीफ और दर्द का एहसास न जाने कैसे हो जाता। प्यार का दिखावा भले ही न करता हो मगर मन ही मन बहुत चाहता था। और आरोही भी सिर्फ और सिर्फ आरव से ही प्यार करती थी। अक्षय उसकी ज़िन्दगी में बुरा अतीत जरूर था।मगर आरव ने आरोही को अपनाकर साबित कर दिया कि ज़िन्दगी में प्यार सिर्फ एक बार ही होता है और आरोही को हुआ भी वो भी सिर्फ आरव से।अतीत में भले ही दुनियावालो ने कुछ भी सोचा हो मगर आरव जैसे इंसान से मिलकर आरोही समझ चुकी थी कि भगवान ने उसको सच्चा प्यार दे दिया यही वजह है कि आरोही कभी आरव को धोखा नही देगी और उसके भरोसे को कभी नही तोड़ेगी। यही तो एक पवित्र प्रेम जो एक प्रेमिका अपने प्रेमी से भले ही कभी कभी मिले मग़र इतंजार और विश्वास दोनो ही शामिल हैं उनके इस “पवित्र प्रेम” में।

— उपासना पाण्डेय आकांक्षा

हरदोई (उत्तर प्रदेश)

उपासना पाण्डेय

पूर्ण नाम : आकांक्षा पाण्डेय साहित्यिक नाम ; उपासना पाण्डेय जन्मतिथि : 21दिसम्बर 1991 वर्तमान पता: ट्रांजिस्ट हॉस्टल के पीछे आजाद नगर हरदोई शहर : हरदोई जिला: हरदोई राज्य : उत्तर प्रदेश विधा: पद्य (श्रृंगार रस ,रचनाये) गद्य( लघुकथाएं, सामाजिक लेख, कहानियां) ब्लॉग-Upasnamerasafr.blogspot.in